'स्वदेस' का हकदार मैं था: शाहरुख़ का राष्ट्रीय पुरस्कार पर छलका दर्द!
शाहरुख़ ख़ान का दर्द छलका! 'स्वदेस' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार न मिलने पर शाहरुख़ ने जताई निराशा, कहा 'मैं हकदार था'। जानिए क्या है पूरा मामला। #ShahRukhKhan #Swades #NationalAward

'स्वदेस' का हकदार मैं था: शाहरुख़ का राष्ट्रीय पुरस्कार पर छलका दर्द! 🌟
शाहरुख़ ख़ान, जिन्हें बॉलीवुड में 'बादशाह' के नाम से जाना जाता है, एक ऐसा नाम है जो दशकों से भारतीय सिनेमा पर राज कर रहा है। उनकी फ़िल्में न केवल बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाती हैं, बल्कि दर्शकों के दिलों में भी एक ख़ास जगह बनाती हैं। लेकिन, एक ऐसा पुरस्कार है जो हमेशा शाहरुख़ की झोली से दूर रहा - राष्ट्रीय पुरस्कार। हाल ही में, एक पुराना वीडियो वायरल हुआ है जिसमें शाहरुख़ ख़ान ने खुले तौर पर इस बात पर निराशा जताई कि उन्हें 2004 में 'स्वदेस' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं मिला, बल्कि सैफ़ अली ख़ान को 'हम तुम' के लिए दिया गया।
एक अधूरा सपना: राष्ट्रीय पुरस्कार 🏆
शाहरुख़ ख़ान ने अपने करियर में कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें फिल्मफेयर पुरस्कारों की भरमार है। लेकिन, राष्ट्रीय पुरस्कार का महत्व अलग है। यह भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च फिल्म पुरस्कार है, और इसे कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जाता है। शाहरुख़ के प्रशंसकों और आलोचकों दोनों का मानना है कि 'स्वदेस' में उनका प्रदर्शन राष्ट्रीय पुरस्कार का हकदार था।
'स्वदेस' एक ऐसी फ़िल्म थी जो भारत की मिट्टी से जुड़ी हुई थी। यह एक NRI वैज्ञानिक की कहानी थी जो अपने देश वापस आता है और ग्रामीण भारत की समस्याओं को देखकर उन्हें हल करने का प्रयास करता है। शाहरुख़ ने इस किरदार को इतनी संवेदनशीलता और ईमानदारी से निभाया था कि यह दर्शकों के दिलों को छू गया।
जब शाहरुख़ ने बयां किया अपना दर्द 💔
वायरल वीडियो में, शाहरुख़ ख़ान एक कार्यक्रम में कुणाल कोहली और मंदिरा बेदी के साथ मंच पर हैं। कुणाल कोहली, जिन्होंने 'हम तुम' का निर्देशन किया था, शाहरुख़ से उनकी पसंदीदा फिल्मों के बारे में पूछते हैं। शाहरुख़ जवाब में कहते हैं, "देखिए, मैं दिल का बहुत अच्छा हूँ। सारी फ़िल्में अच्छी लगती हैं, सारे हीरो अच्छे लगते हैं, सारी हीरोइनें अच्छी लगती हैं, हर चीज़ अच्छी लगती है।"
लेकिन, फिर शाहरुख़ एक ऐसा बयान देते हैं जो सबका ध्यान खींच लेता है। वह कहते हैं, "फ़ना बहुत अच्छी थी। मुझे लगता है 'हम तुम' भी बहुत अच्छी थी। उनके अभिनेता को 'हम तुम' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, जबकि मुझे लगता है कि यह मुझे मिलना चाहिए था, लेकिन वह एक अलग कहानी है।"
शाहरुख़ यह कहकर हंसते हैं, लेकिन उनकी हंसी में एक दर्द छुपा हुआ था। यह दर्द उस सपने के टूटने का दर्द था, जो कभी पूरा नहीं हो सका।
प्रशंसकों ने भी जताई सहमति 🤝
शाहरुख़ के इस बयान के बाद, सोशल मीडिया पर प्रशंसकों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। ज्यादातर प्रशंसकों ने शाहरुख़ की बात से सहमति जताई और कहा कि 'स्वदेस' में उनका प्रदर्शन निश्चित रूप से राष्ट्रीय पुरस्कार का हकदार था।
एक प्रशंसक ने लिखा, "मैं यहाँ सहमत हूँ। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि 'हम तुम' को सैफ़ को पुरस्कार दिलाने के लिए कैसे माना गया। मैंने 'हम तुम' देखी है, और मुझे यह पसंद है, लेकिन क्या मुझे विश्वास है कि सैफ़ को राष्ट्रीय पुरस्कार के योग्य बनाता है? नहीं, बिल्कुल नहीं!"
एक अन्य प्रशंसक ने कहा, "वह वास्तव में 'स्वदेस' के लिए इसके हकदार थे, सच कहूँ तो।"
कुछ प्रशंसकों ने यह भी बताया कि शाहरुख़ को उस साल पुरस्कार क्यों नहीं मिला। एक प्रशंसक ने लिखा, "दुर्भाग्य से उनके लिए, टी.एस. नागभाराना उस वर्ष जूरी में थे और उन्होंने खुले तौर पर 'स्वदेस' की अखंडता पर सवाल उठाया, यहाँ तक कि यह दावा किया कि यह उनकी अपनी फिल्म की साहित्यिक चोरी है।"
'स्वदेस' का बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन और शाहरुख़ का बदलाव 📉
शाहरुख़ ख़ान ने कई बार कहा है कि 'स्वदेस' जैसी फिल्मों की बॉक्स ऑफिस पर विफलता ने उन्हें अपने विकल्पों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया, जिससे उन्हें बाद में अधिक व्यावसायिक फिल्में करनी पड़ीं। कई प्रशंसकों ने आश्चर्य जताया कि क्या फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने से वह बदलाव आता।
एक रेडिटर ने आश्चर्य जताया, "कितना अफ़सोस है। हालाँकि बिना पुरस्कार के 'स्वदेस' कम नहीं है। लेकिन यह उनके लिए एक महान क्षण होता और किसी तरह 'स्वदेस' की BO विफलता के कुछ घावों को भर देता। शायद उन्होंने कम से कम एक बार और इसी तरह की फिल्में चुनी होतीं, जो उन्होंने 'स्वदेस' की BO विफलता के कारण कभी नहीं की।"
71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: शाहरुख़ का इंतजार खत्म 🎉
71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में, शाहरुख़ ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार विक्रांत मैसी के साथ साझा किया, जिन्हें 12वीं फेल में उनके प्रदर्शन के लिए संयुक्त विजेता घोषित किया गया। रानी मुखर्जी ने मिसेज चटर्जी बनाम नॉर्वे में अपनी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता। 12वीं फेल ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी जीता।
बाद में शुक्रवार को, शाहरुख़ ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो संदेश पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने अपने जवान के निर्देशक एटली, प्रशंसकों, अपनी टीम और अपने परिवार को धन्यवाद दिया।
शाहरुख़ ने कहा कि राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने का उनके लिए क्या मतलब है, "राष्ट्रीय पुरस्कार केवल उपलब्धि के बारे में नहीं है। यह एक अनुस्मारक है कि मैं जो करता हूं वह मायने रखता है। यह मुझे आगे बढ़ने, कड़ी मेहनत करते रहने, निर्माण करते रहने और सिनेमा की सेवा करते रहने के लिए कहता है। शोर से भरी दुनिया में, वास्तव में सुना जाना एक आशीर्वाद है। और मैं इस मान्यता का उपयोग समाप्ति रेखा के रूप में नहीं, बल्कि प्रयास जारी रखने, सीखने और वापस देने के लिए ईंधन के रूप में करने का वादा करता हूं। यह पुरस्कार एक अनुस्मारक है कि अभिनय केवल काम नहीं है, बल्कि स्क्रीन पर सच्चाई दिखाने की जिम्मेदारी है।"
एक कलाकार का दर्द और जुनून 🎭
शाहरुख़ ख़ान का यह बयान एक कलाकार के दर्द और जुनून को दर्शाता है। यह दिखाता है कि एक कलाकार अपने काम को कितना महत्व देता है, और जब उसे उसकी मेहनत का फल नहीं मिलता है तो उसे कितना दुख होता है। लेकिन, यह शाहरुख़ की महानता ही है कि उन्होंने इस दर्द को अपनी प्रेरणा बनाई और अपने काम को जारी रखा।
शाहरुख़ ख़ान आज भी बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारों में से एक हैं, और उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। उन्होंने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने हमेशा अपने प्रशंसकों का मनोरंजन किया है, और वे हमेशा उनके दिलों में एक ख़ास जगह बनाए रखेंगे।
अंत में:
"कभी-कभी हारना भी ज़रूरी होता है, ताकि जीतने का असली मज़ा आ सके!" 🌟