त्राहिमाम! चंडीगढ़ ट्राईसिटी में बाढ़ का खतरा: घग्गर और सुखना का जलस्तर बढ़ने से हाहाकार

भारी बारिश से चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली में बाढ़ का अलर्ट! घग्गर नदी और सुखना झील का जलस्तर बढ़ने से जनजीवन अस्त-व्यस्त। जान-माल की सुरक्षा के लिए प्रशासन मुस्तैद।

त्राहिमाम! चंडीगढ़ ट्राईसिटी में बाढ़ का खतरा: घग्गर और सुखना का जलस्तर बढ़ने से हाहाकार

त्राहिमाम! चंडीगढ़ ट्राईसिटी में बाढ़ का खतरा: घग्गर और सुखना का जलस्तर बढ़ने से हाहाकार 

 

चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली, ये तीनों शहर, जिन्हें प्यार से ट्राईसिटी कहा जाता है, आज एक गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं। भारी बारिश के कारण घग्गर नदी और सुखना झील का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है, जिसके चलते प्रशासन ने बाढ़ का अलर्ट जारी कर दिया है। मानो प्रकृति ने अपनी प्रचंड शक्ति का प्रदर्शन करते हुए, इन शहरों के निवासियों के दिलों में डर और अनिश्चितता का बीज बो दिया है।

 

रात भर की बारिश ने मचाई तबाही: खतौली गांव में पुल ढहा, कई गांवों में अलर्ट 

 

कल रात हुई मूसलाधार बारिश ने मानो कहर ढा दिया। पंचकूला जिले के खतौली गांव में एक पुल ढह गया, जिससे आसपास के इलाकों में अफरा-तफरी मच गई। डेरा बस्सी उपमंडल के नौ गांवों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। लोगों के घरों में पानी घुस गया है, फसलें बर्बाद हो गई हैं, और सड़कें नदियों में तब्दील हो गई हैं। हर तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है।

🎨 "यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, यह हमारे जीवन और आजीविका पर हमला है," खतौली गांव के एक निवासी, रामलाल ने कहा, उनकी आवाज निराशा से भरी हुई थी।

 

सुखना झील के फाटक खोले गए: खतरे के निशान से ऊपर जलस्तर 

 

सुखना झील का जलस्तर खतरे के निशान 1,163 फीट से ऊपर पहुँच जाने के कारण, शुक्रवार की सुबह दो फाटक खोल दिए गए। इस मानसून में यह छठी बार है जब झील के फाटक खोले गए हैं। यूटी इंजीनियरिंग विभाग का स्टाफ लगातार झील पर निगरानी रख रहा है, और एक समर्पित कंट्रोल रूम के माध्यम से मोहाली और पंचकूला जिलों के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है।

 

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश: घग्गर नदी में उफान 

 

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण घग्गर नदी में उफान आ गया है। यह नदी पंचकूला से होकर बहती है और मोहाली के मुबारिकपुर गांव में पंजाब में प्रवेश करती है। नदी का जलस्तर बढ़ने से आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

 

डेरा बस्सी के नौ गांवों में हाई अलर्ट: प्रशासन मुस्तैद 

 

मोहाली जिले के डेरा बस्सी उपमंडल के नौ गांवों - तिवाना, खजूर मंडी, साधनपुर, सरसिनी, आलमगीर, दंगधेरा, मुबारिकपुर, मीरपुर और बकरपुर - में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। घग्गर नदी में पानी का बहाव 70,000 क्यूसेक से अधिक हो गया है। डेरा बस्सी के उपमंडलीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अमित कुमार ने कहा कि पुलिस, सिंचाई और राजस्व विभाग की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति पर नजर रख रही हैं। मोहाली की उपायुक्त कोमल मित्तल ने तिवाना गांव का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।

 

जीरकपुर और मुबारिकपुर में जलभराव: यातायात बाधित 

 

जीरकपुर में, सुखना चोए का पानी बलटाना पुल पर बह गया, जबकि मुबारिकपुर काजवे भी पानी में डूब गया। भारी जलभराव के कारण यातायात बाधित हो गया है, और लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

🎨 "हमें अपने घरों से निकलने में डर लग रहा है। सड़कें नदियों में बदल गई हैं, और हमें नहीं पता कि आगे क्या होगा," जीरकपुर की एक निवासी, सुनीता ने कहा, उनकी आँखों में डर साफ झलक रहा था।

 

राष्ट्रीय राजमार्ग 7 का किनारा ढहा: खतरे में जान-माल 🛣️

 

बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग 7 का एक किनारा घग्गर नदी के पास सेक्टर 26 में ढह गया है। इससे सड़क पर चलने वाले वाहनों के लिए खतरा पैदा हो गया है। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और इस मार्ग से बचने की सलाह दी है।

 

मौसम विभाग का पूर्वानुमान: अगले कुछ दिनों तक बारिश जारी रहने की संभावना 🌦️

 

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पूर्वानुमान जताया है कि पंजाब और हरियाणा में अगले तीन से चार दिनों तक मानसून की गतिविधि जारी रहेगी। कई जिलों में भारी बारिश की संभावना है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

 

कई जिलों में सामान्य से अधिक बारिश: बाढ़ जैसे हालात ☔

 

मौसम विभाग के चंडीगढ़ केंद्र के प्रमुख सुरेंद्र पॉल ने कहा कि वर्तमान मौसम प्रणालियों से संकेत मिलता है कि उत्तर और पश्चिम पंजाब के साथ-साथ उत्तर और दक्षिण हरियाणा में व्यापक बारिश होगी। यह स्थिति 2 सितंबर तक जारी रहने की संभावना है। पठानकोट, गुरदासपुर, होशियारपुर, अमृतसर, फिरोजपुर, फाजिल्का, संगरूर, मानसा और मोगा सहित कई जिलों में इस मानसून में सामान्य से बहुत अधिक बारिश दर्ज की गई है। 25 से 27 अगस्त के बीच, इन क्षेत्रों में औसत बारिश से लगभग आठ से नौ गुना अधिक बारिश हुई, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति और भी बदतर हो गई।

🎨 "हम प्रकृति के आगे बेबस हैं। हमें उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन हमारी मदद करेंगे," संगरूर के एक किसान, बलविंदर सिंह ने कहा, उनकी आवाज में आशा और निराशा का मिश्रण था।

 

राहत और बचाव कार्य जारी: प्रशासन की तत्परता 🤝

 

प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है, और भोजन और पानी जैसी आवश्यक वस्तुएं वितरित की जा रही हैं। एनडीआरएफ की टीमें भी मौके पर मौजूद हैं और बचाव कार्यों में मदद कर रही हैं।

 

आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है: सतर्क रहने की अपील ⚠️

 

मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है। लोगों से सतर्क रहने, सुरक्षित स्थानों पर रहने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है।

 

निष्कर्ष: प्रकृति की मार, इंसान बेबस 

यह एक दुखद सच्चाई है कि हम प्रकृति की मार के आगे बेबस हैं। हमें इस आपदा से सीख लेनी चाहिए और भविष्य में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। हमें एकजुट होकर इस मुश्किल समय का सामना करना होगा और एक-दूसरे की मदद करनी होगी।

"जब प्रकृति करवट बदलती है, तो इंसानियत की परीक्षा होती है।"

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