प्यासी धरती, अनसुनी चीख: कुपवाड़ा के लालपोरा में पानी के लिए हाहाकार
कुपवाड़ा के लालपोरा में पानी की किल्लत से त्रस्त लोगों का दर्दनाक प्रदर्शन। क्या सरकार सुनेगी इनकी पुकार? देखिए, एक भावनात्मक रिपोर्ट।
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प्यासी धरती, अनसुनी चीख: कुपवाड़ा के लालपोरा में पानी के लिए हाहाकार
कुपवाड़ा, कश्मीर की वादियों में बसा एक छोटा सा गांव, लालपोरा। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाने वाला यह गांव आज एक अलग ही तरह की त्रासदी से जूझ रहा है। यहां हर तरफ पानी की किल्लत का शोर है, एक ऐसी समस्या जिसने लोगों की जिंदगी को नरक बना दिया है।
बूंद-बूंद के लिए तरसते लोग
लालपोरा के तेली मोहल्ला में रहने वाले लोग पिछले कई महीनों से पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि लोगों को पीने के पानी के लिए भी कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। महिलाएं और बच्चे, सुबह से शाम तक पानी की तलाश में भटकते रहते हैं। उनके चेहरों पर निराशा और आंखों में बेबसी साफ़ झलकती है।
🎨 "पानी तो जिंदगी है, और यहाँ जिंदगी ही खतरे में है।"
प्रदर्शन और आक्रोश
पानी की इस गंभीर समस्या से परेशान होकर, लालपोरा के निवासियों ने आखिरकार अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कुपवाड़ा-लालपोरा मार्ग को अवरुद्ध कर दिया, जिससे यातायात ठप हो गया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार और संबंधित विभागों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका कहना था कि बार-बार गुहार लगाने के बावजूद, किसी ने उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दिया।
- कई महीनों से पानी की किल्लत
- संबंधित विभाग की अनदेखी
- महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी
- दूर दराज से पानी लाने की मजबूरी
अधिकारियों का आश्वासन, कब होगा समाधान?
प्रदर्शन की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश की। अधिकारियों ने समस्या के समाधान का आश्वासन दिया, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्वक अपना विरोध समाप्त कर दिया। जल शक्ति विभाग के सहायक कार्यकारी अभियंता, तौसीफ अहमद जरगर ने बताया कि गांव के लिए एक नई जल आपूर्ति योजना को मंजूरी दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि धन की कमी के कारण काम धीमी गति से चल रहा है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही इसे पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि समस्या का स्थायी समाधान होने तक गांव में नियमित रूप से पानी के टैंकर भेजे जाएंगे।
क्या यह सिर्फ एक वादा है?
लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक और वादा है? क्या लालपोरा के लोगों को वाकई में पानी की समस्या से निजात मिलेगी? अतीत में भी कई वादे किए गए हैं, लेकिन उनमें से कोई भी पूरा नहीं हुआ। लोगों में अब सरकार और अधिकारियों के प्रति विश्वास कम होता जा रहा है।
एक भावनात्मक अपील
मैं एक पत्रकार और फिल्म समीक्षक होने के नाते, इस मुद्दे की गंभीरता को समझता हूं। पानी सिर्फ एक जरूरत नहीं है, यह जीवन का आधार है। लालपोरा के लोगों को पानी से वंचित रखना, उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन है। मैं सरकार और संबंधित अधिकारियों से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और जल्द से जल्द लालपोरा में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करें।
क्या हम चुप रहेंगे?
अगर हम आज चुप रहे, तो कल यह समस्या किसी और गांव में भी हो सकती है। हमें मिलकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी होगी। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर किसी को पीने का पानी मिले, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या क्षेत्र से हो।
निष्कर्ष: उम्मीद की एक किरण
लालपोरा के लोगों की कहानी एक दुखद कहानी है, लेकिन यह उम्मीद की कहानी भी है। उन्होंने हार नहीं मानी है। वे अपनी आवाज उठाते रहेंगे, जब तक कि उनकी समस्या का समाधान नहीं हो जाता। हमें उनके साथ खड़ा होना चाहिए और उन्हें यह बताना चाहिए कि वे अकेले नहीं हैं।
"जब तक सूरज चांद रहेगा, लालपोरा का पानी का हक रहेगा!"
यह सिर्फ एक नारा नहीं है, यह एक संकल्प है। एक ऐसा संकल्प जो हमें यह याद दिलाता है कि हमें हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहिए और हर किसी के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने का प्रयास करना चाहिए।
अंत में:
पानी की एक बूंद की कीमत जानो, क्योंकि प्यासे की प्यास बुझाने से बड़ा कोई पुण्य नहीं।